Wednesday, April 7, 2010
विज्ञान और हम
ये बात तो सच है कि विज्ञान की प्रगति ने इस युग का चेहरा बदल कर रख दिया है। लेकिन बहुत बार मेरा यह मानना रहता है कि आज की बहुत सी समस्याओं की जड़ में भी यही प्रगति है। टूटते परिवार, भटके हुए समाज, बिखरती सभ्यता और तबाही की ओर बढ़ता पर्यावरण। मैंने सोचा कि क्यों न इस मुद्दे पर आप सब के साथ चर्चा करूँ। यदि आपको भी इस बारे में कुछ कहना है तो बताइए।
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Anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteZaroor kahiye! Swagat hai!
ReplyDeleteZaroor kahen! Swagat hai!
ReplyDeletewelcome
ReplyDeleteतो क्या कहना है आप सब का इस बारे में? क्या आपको भी लगता है कि विज्ञान ने प्रगति के साथ साथ विनाश के भी नए रास्ते खोल दिए हैं?
ReplyDeleteप्रिय सौरभ जी
ReplyDeleteसादर नमस्ते
हर चीज़ के दो पहलू होते हैं अच्छा और बुरा. दृष्टिकोण और धैर्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है...
क्या कहते हैं...
सादर
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है...
ReplyDeleteAchchhee aur rochak bahs kee shuruat kee hai apane.
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteदृष्टिकोण और धैर्य आज के ज़माने में शायद बहुत ही दुर्लभ गुण हैं. मेरे ख्याल से आज भी ज्यादातर लोग ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे से अनजान हैं या जान कर भी अनजान बने हुए हैं. कितने ही लोग अभी भी पानी वेस्ट करते हैं, कितने हैं जो फ्री का ऐसी मिल जाने पर उसे फुल लोड पर चलाते हैं. कहाँ हैं वो बहुजन सुखाय का दृष्टिकोण? क्यों नहीं हम अपने आस पास का ध्यान रखने का सोचते हैं?
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