Wednesday, April 7, 2010

विज्ञान और हम

ये बात तो सच है कि विज्ञान की प्रगति ने इस युग का चेहरा बदल कर रख दिया है। लेकिन बहुत बार मेरा यह मानना रहता है कि आज की बहुत सी समस्याओं की जड़ में भी यही प्रगति है। टूटते परिवार, भटके हुए समाज, बिखरती सभ्यता और तबाही की ओर बढ़ता पर्यावरण। मैंने सोचा कि क्यों न इस मुद्दे पर आप सब के साथ चर्चा करूँ। यदि आपको भी इस बारे में कुछ कहना है तो बताइए।

10 comments:

  1. तो क्या कहना है आप सब का इस बारे में? क्या आपको भी लगता है कि विज्ञान ने प्रगति के साथ साथ विनाश के भी नए रास्ते खोल दिए हैं?

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  2. प्रिय सौरभ जी
    सादर नमस्ते
    हर चीज़ के दो पहलू होते हैं अच्छा और बुरा. दृष्टिकोण और धैर्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है...
    क्या कहते हैं...
    सादर
    चन्दर मेहेर
    lifemazedar.blogspot.com

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  3. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है...

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  4. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  5. दृष्टिकोण और धैर्य आज के ज़माने में शायद बहुत ही दुर्लभ गुण हैं. मेरे ख्याल से आज भी ज्यादातर लोग ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे से अनजान हैं या जान कर भी अनजान बने हुए हैं. कितने ही लोग अभी भी पानी वेस्ट करते हैं, कितने हैं जो फ्री का ऐसी मिल जाने पर उसे फुल लोड पर चलाते हैं. कहाँ हैं वो बहुजन सुखाय का दृष्टिकोण? क्यों नहीं हम अपने आस पास का ध्यान रखने का सोचते हैं?

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